बरेली। FSDA : साहब का हाथ हो तो हर जुर्म भी इज्जत पाता है, वरना बेबस गरीब तो बस सजा ही पाता है। कुछ यही हाल FSDA में है। एक बाबू पिछले 20 साल से एक ही जगह पर अंगद की तरह पैर जमाए बैठा है मगर आज तक उसे कोई उस सीट से हटा नहीं सका। हालांकि बाबू का मूल विभाग दूसरा है लेकिन जब से वह FSDA में आया तो यहीं का होकर रह गया। दो दशक पहले डेप्यूटेशन पर उसकी इस विभाग में पोस्टिंग हुई थी, इसके बाद एफएसडीए में उसके पांव ऐसे जमे कि कोई हटा नहीं पाया।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवाएं विभाग में तैनात कई कर्मचारी करीब 20 साल पहले डेप्यूटेशन पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) में आए थे, इनमें एक कनिष्ठ लिपिक भी था। कुछ समय बाद कई कर्मचारियों का इस विभाग में समायोजन हो गया, जबकि कुछ कर्मचारी वापस अपने मूल विभाग में चले गए, लेकिन इस बाबू ने न तो समायोजन कराया न ही अपने मूल विभाग में वापस गया।
स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन निदेशक प्रशासन राजा गणपति के सामने प्रदेश में कई जिलों में एक ही पटल पर दशकों से जमे कर्मचारियों का मामला पहुंचा तो उन्होंने सख्ती बरतते हुए बिना किसी की सिफारिश सुने ऐसे कर्मचारियों का दूरदराज के जिलों में ट्रांसफर कर दिया लेकिन इस बाबू की कुर्सी टस से मस नहीं हुई।
प्रमोशन छोड़ा… FSDA में कमाई वाली सीट को कसकर पकड़ा
प्रमोशन के लिए कर्मचारी अधिकारियों की चापलूसी से लेकर क्या-क्या नहीं करते, फिर चाहे नौबत अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोलने तक की क्यों न आ जाए। धरना प्रदर्शन से लेकर तमाम कार्य करते हैं लेकिन 20 साल से यह बाबू त्याग की प्रतिमूर्ति बना हुआ है। इसने अब तक एक भी प्रमोशन नहीं लिया है।
हालांकि इतनी सेवा में कम से कम दो-तीन प्रमोशन का हकदार तो यह था ही लेकिन बाबू ने प्रमोशन के आगे पैसे को तरजीह दी। यही वजह है कि 20 साल से एक ही सीट से चिपका हुआ है और इसका फायदा भी इसे खूब मिला है। आज यह बाबू अकूत संपत्ति जमा कर चुका है। उसके ठाठ बाट के चर्चे के FSDA से लेकर स्वास्थ्य विभाग में भी खूब होते हैं।
अब कइयों की बुरी नजर बाबू पर, कुर्सी भी जाने का डर
20 साल से मलाई चाट रहा FSDA का यह बाबू अब कइयों की नजर में खटकने लगा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय तक भी इसकी शिकायत पहुंच चुकी है। हरिओम सिंह नामक व्यक्ति ने शासन स्तर पर इस बाबू की शिकायत की है। उनकी शिकायत को शासन ने गंभीरता से लेते हुए जांच बैठा दी है। इसके लिए शिकायतकर्ता से कुछ साक्ष्य भी मांगे गए हैं, जो उन्होंने प्रेसित कर दिए हैं। माना जा रहा है कि अब इस बाबू की कुर्सी लड़खड़ाने वाली है। हालांकि बाबू तिकड़बाजी कर अपनी कुर्सी बचाने की जद्दोजहद में लगा है, इसके चलते आजकल वह अपने आकाओं की छत्रछाया में पहुंच गया है।
ट्रांसफर पॉलिसी भी बाबू की पहुंच के आगे बेअसर
ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार काफी सख्त है लेकिन FSDA में 20 साल से एक ही जगह डटे इस बाबू के आगे ट्रांसफर पॉलिसी भी बेअसर साबित हो रही है। ऐसा नहीं है कि इस बाबू पर ट्रांसफर की तलवार नहीं लटकी मगर अपने आकाओं की शरण में जाकर यह तिकड़बाजी करके हर बार खुद को बचा ले जाने में सफल हो जाता है। इस बार शिकायत शासन तक पहुंचने के बाद अगर जांच में कोई गड़बड़ी नहीं हुई तो इस बाबू की कुर्सी जाना भी तय माना जा रहा है लेकिन यह जांच टीम पर निर्भर करता है कि वह इस बाबू को बचाती है या फिर इसकी कुर्सी जाती है।