शासनादेश को दरकिनार कर सीएमओ ने जूनियर डॉक्टरों को सौंपा चार्ज, सीनियर उनके अंडर कर रहे काम
सांसद की चिट्ठी पर शुरू हुई जांच सीडीओ के स्तर पर जाकर अटकी, मामले को दबाने में जुटे अधिकारी
बरेली। स्वास्थ्य विभाग में आजकल अलग ही ढर्रे पर व्यवस्था चल रही है। यहां सीएमओ की मेहरबानी से जूनियर डॉक्टरों को एमओआईसी बना दिया गया है लेकिन उनसे कहीं ज्यादा अनुभवी डॉक्टर उनके अंडर में काम कर रहे हैं। इस मामले की शिकायत सांसद नीरज मौर्य की चिट्ठी के साथ शासन स्तर पर की गई तो जांच शुरू हुई लेकिन सीडीओ स्तर पर पहुंचने के बाद जांच दबा दी गई।
बरेली के मढ़ीनाथ में रहने वाले शिकायतकर्ता एमके पटेल के मुताबिक सीनियर डॉक्टरों की जगह जूनियर डॉक्टरों को एमओआईसी का चार्ज दिया जा रहा है। सीनियर डॉक्टर जूनियर के अंडर में काम कर रहे हैं। यह सब दो लाख रुपये घूस लेकर किया जा रहा है, इससे सीनियर डॉक्टरों में नाराजगी है।
2020 बैच के डॉक्टर को सौंपा एमओआईसी का चार्ज
फरीदपुर सीएचसी में तैनात रहे 2020 बैच के डॉक्टर विवेक कुमार को साठगांठ के चलते भमोरा सीएचसी का एमओआईसी नियुक्त कर दिया गया, जबकि इससे पहले डॉ. विवेक कुमार के पास किसी एडिशनल पीएचसी तक का चार्ज नहीं रहा। यह चार्ज उन्हें 2010 बैच के सीनियर डॉक्टर को हटाकर दिया गया। आरोप है कि डॉ. विवेक कुमार पर फरीदपुर में तैनाती के दौरान डॉ. अनुराग गौतम के साथ मिलकर एक झोलाछाप से एक लाख रुपये उगाही करने का आरोप लगा था, इस पर उन्हें वहां से हटा दिया गया लेकिन साठगांठ करके वह फिर वापस फरीदपुर आ गए और अब वह भमोरा सीएचसी के एमओआईसी हैं।
इन जूनियरों के अंडर काम कर रहे सीनियर
2015 बैच के डॉ. संचित शर्मा, जो कि फतेहगंज पश्चिमी सीएचसी के एमओआईसी हैं, उनके अंडर में 2001 बैच के डॉक्टर जगवीर काम रहे हैं। यही हाल बिथरी सीएचसी का है। यहां तैनात डॉ. उत्तरा शर्मा को सीएचसी का एमओआईसी बना दिया गया, जबकि बिथरी पर उनके पहले अधीक्षक के पद पर रहे डॉक्टर उनके खिलाफ लगातार शिकायतें करते रहे थे मगर अब वह बिथरी की एमओआईसी हैं। इनके अंडर में कई वरिष्ठ चिकित्सक सेवाएं दे रहे हैं।
कुआंडांडा सीएचसी पर तो 2020 के डॉक्टर प्रकाश चंद्र को एमओआईसी बना दिया गया, जबकि 2010 बैच के डॉ. जावेद अंसारी, 2010 बैच के ही डॉ. नैन सिंह और 2012 बैच के डॉ. रोहन नारायण उनके अधीनस्थ कार्यरत हैं। इसी तरह मझगवां सीएचसी का चार्ज 2020 बैच के डॉ. सुशील गुप्ता को सौंप रखा है।
शासन ने दिया प्रशस्ति पत्र मगर बरेली सीएमओ को नहीं भाया काम
डॉ. वैभव राठौर को मझगवां सीएचसी का एमओआईसी रहते चिकित्सा एवं पोषण इंडीकेटर्स के लिए वार्षिक डेल्टा रैंकिंग में सर्वोत्तम कार्य करने पर प्रदेश में प्रथम स्थान मिलने पर शासन की ओर से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया मगर उनका काम सीएमओ को नहीं भाया और एक महीने बाद ही सीएमओ ने उनके कार्य को असंतोषजनक बताते हुए उन्हें हटाकर रामनगर भेज दिया।
सीडीओ स्तर पर लटकी मामले की जांच
सांसद नीरज मौर्य की चिट्ठी के साथ की गई शिकायत पर सीडीओ को जांच सौंपी गई मगर शिकायतकर्ता के शपथ-पत्र वाले शासनादेश का हवाला देकर जांच दबा दी गई। हालांकि शिकायत के साथ शिकायतकर्ता ने तमाम साक्ष्य प्रस्तुत किए थे लेकिन उन पर अधिकारियों ने गौर नहीं किया। इस मामले में सीडीओ जगप्रवेश को उनका पक्ष जानने के लिए कॉल की गई लेकिन रिसीव नहीं हुई।
क्या कहता है पदभर दिए जाने का शासनदेश
संयुक्त सचिव उत्तर प्रदेश शासन विनोद कुमार सिंह की ओर से 12 अक्तूबर 2015 को महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं और सभी मुख्य चिकित्सा आधिकारियों को आदेश जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि शासन के संज्ञान में आया है कि प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात कनिष्ठ चिकित्सकों को अधीक्षक का प्रभार दिया जा रहा है, इससे वरिष्ठ चिकित्सकों में असंतोष उत्पन्न होना स्वाभाविक है। इसी मद में आदेश जारी किया गया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात चिकित्सकों में से प्रत्येक इकाई पर वरिष्ठतम चिकित्सक की तैनाती की जाए और सीएचसी पर लेवल-3 के अधिकारी की तैनाती की जाए। मगर जिले में शासन के इस आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।