मथुरा। ब्रजरज उत्सव (Brajraj Utsav) के पांचवें दिन 5000 पुरानी भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं जीवंत हो उठीं। श्रीराम भारतीय कला केंद्र की नृत्य नाटिका की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। 5 नवंबर से शुरू हुए ब्रजरज उत्सव में देश के जानेमाने कलाकार प्रस्तुितयां दे चुके हैं।
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में ब्रजरज उत्सव (Brajraj Utsav) का आयोजन धौलीप्याऊ स्थित रेलवे मैदान पर किया जा रहा है। पांचवें दिन श्रीराम भारतीय कला केंद्र के कलाकारों ने श्रीकृष्ण लीला नृत्य नाटिका का प्रस्तुतिकरण किया। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ श्याम बहादुर सिंह ने कलाकारों को सम्मानित किया।

श्रीराम भारतीय कला केंद्र के निदेशक पद्मश्री शोभा दीपक सिंह के संचालन में नृत्य नाटिका के माध्यम से कलाकारों ने कृष्ण के मनमोहक बचपन के आनंदमय दिन, वयस्क बनने के दौरान उनकी शरारतें, प्रकृति के साथ उनका प्रेम और जीवन वाली हर चीज के प्रति उनकी करुणा, अंततः मानव आराधना के स्तर को खूबसूरती से प्रदर्शित किया।

Brajraj Utsav में कलाकारों की प्रस्तुति ने किया मंत्रमुग्ध
श्रीकृष्ण की आभा दर्शकों को अपने आगोश में ले लेती है। श्रीराम भारतीय कला केंद्र द्वारा प्रस्तुत इस नृत्य नाटिका में पारंपरिक भारतीय नृत्य शैलियों का उपयोग करते हुए भगवान कृष्ण के जन्म से लेकर महाभारत में भागीदारी तक उनके जीवन को दर्शाया गया। करीब ढाई घंटे के इस नाटक में विभिन्न कलाकारों की आकर्षक नृत्य प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इससे पूर्व स्थानीय कलाकारों ने ब्रज की लोककला का प्रस्तुतिकरण किया। ब्रज की प्रसिद्ध भजन गायिका प्रतिभा सिंह, खुशी गोस्वामी की प्रस्तुतियों ने समा बांध दिया। राजेश शर्मा के लोकगीत लोकनृत्य ने ब्रज संस्कृति के रंग को और गहरा कर दिया। उनके साथी कलाकारों के लोकगीत और लोकनृत्य की प्रस्तुति से दर्शकों को आकृषित किया।
Brajraj Utsav में तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठे पंडाल
मधुकर के भजनों के स्वर ब्रजरज उत्सव (Brajraj Utsav) पंडाल में गूंजे। लोगों ने एकचित भाव से मधुकर के भजन सुने और जमकर तालियां बजाई। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के डिप्टी सीईओ सतीश चंद्र, आरपी यादव, डॉ. अनूप शर्मा ने कलाकारों को सम्मानित किया।
इधर, उत्सव में भीड़ निरंतर बढ़ रही है। लोग खानपान का लुफ्त उठा रहे हैं। हस्तशिल्प से जुड़े सामान की खरीदारी भी कर रहे हैं। मनोरंजन के लिए विभिन्न प्रकार के झूलों पर भी भीड़ जुटी रही।
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