
shahmeer thug gang : ठगी के धंधे से बनाई अपार संपत्ति, नोटों के ढेर से खेलते हैं बच्चे
shahmeer thug gang : बरेली। शाहमीर ठग गैंग मंडल भर में एक ही पैतरे पर ठगी को अंजाम देता आ रहा है। पहले तो यह गैंग जमीन में सोने के सिक्के या अशर्फियां दबे होने का दावा करता है फिर उसे निकालने के लिए जमीन मालिक से बच्चे की बलि या फिर काले हिरन की कस्तूरी की डिमांड करता है। यादि कोई वह भी नहीं कर पाता तो मोर की बलि मांगता है। चूंकि डिमांड ऐसी होती है जिसे पूरी कर पाना किसी के लिए संभव नहीं होता, ऐसे में यह गैंग रुपये लेकर खजाना खोजने के लिए होने वाले तंत्रमंत्र की प्रक्रिया पूरी करने का दवा करता है। फिर शिकार से इसके एवज में लाखों रुपये की धनराशि ऐंठ लेता है। ठगों के बच्चों का नोटों के ढेर के साथ खेलते एक वीडियो भी सामने आया है। शाहमीर गैंग ने इसी तरह पीलीभीत के न्यूरिया थाना क्षेत्र के गांव औरिया मजरा जनकपुरी निवासी प्रेमप्रसाद को निशाना बनाया। इस मामले में शाहमीर समेत एक अन्य आरोपी के खिलाफ एसपी के आदेश पर न्यूरिया थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। यह मामला मार्च 2024 का है। प्रेमप्रसाद के मुताबिक उनके पास डालचंद नाम सफाईकर्मी आया था। उसने बताया कि उसके घर पर एक गुरु जी आए हुए वह लोगों की समस्याओं का निवारण करते हैं। इसके बाद वह कथित गुरुजी को लेकर प्रेमप्रकाश के घर पहुंच गया। गुरुजी ने प्रेमप्रसाद से कहा कि उसके खेत में सोने के बिस्किट गढ़े हुए हैं। जिन्हें पाने के लिए पूजा अर्चाना करानी होगी। साथ ही काले हिरन का तीन तोला कस्तूरी दाना लाना होगा। अगर वह न मिले तो मोर की बलि देनी होगी। सोने की बिस्किट की बात सुनते ही प्रेमप्रसाद के मन में लालच आ गया। उन्होंने मोर की बलि देने से मना कर दिया लेकिन कस्तूरी दाना लाने के लिए 2 लाख 72 हजार रुपये जालसाजों को दे दिए। आरोपियों ने प्रेमप्रसाद को यह भी भरोसा दिलाया कि अगर काम नहीं हुआ तो वे उन्हें दोगुने रुपये वापस करेंगे मगर रुपये लेने के बाद शाहमीर और उसका साथी लापता हो गए। न ही खेत से खजाना निकला। इसी तरह शाहमीर ने मीरगंज के गांव कुतकपुर में रहने वाले ताराचंद को निशाना बनाया। ताराचंद ऑटो चलाते हैं। कचहरी पर उनकी मुलाकात शाहमीर के गुर्गे से हुई। उसने ताराचंद से उसकी परेशानी पूछी और उसके समाधान के लिए बिलवा पुल के पास बुलाया। बिलवा पुल पर वह पहुंचा तो शाहमीर ताराचंद को साथ लेकर उसके खेत पर पहुंचा। वहां मिट्टी खोदकर मंत्र पढ़ा और ताराचंद से कहा कि उसके खेत में अशर्फियां दबी हैं। कहा कि इन्हें निकालने के लिए उसे अपने बेटे की बलि देनी होगी लेकिन ताराचंद ने बेटे की बलि देने से इन्कार कर दिया। इस पर उसने बलि के विकल्प में काले हिरन का कस्तूरी दाना देने के बात कही। इसे खीदने के लिए एवज में 6 लाख 72 हजार रुपये खर्चा देने को कहा। ताराचंद ने रुपये दे दिए तो शाहमीर ने रात के वक्त खेत की खोदाई की। इस दौरान खेत से पीले रंग के चमकदार सिक्के निकले। 21 दिन से पहले खोला तो सोना हो जाएगा पीतल खेत से सिक्के निकलने के बाद ठग ने ताराचंद से कहा कि इन्हें घर में ले जाकर 21 दिन बाद खोलना अगर इससे पहले खोला तो सोना पीतल हो जाएगा। ताराचंद ने ऐसा ही किया और 21 दिन बाद कपड़ा हटाकर देखा तो उसमें पीतल के सिक्के थे। इस मामले की तहरीर ताराचंद ने पुलिस को दी थी। नोटों के बिस्तर पर लेटकर रील बना रहा ठग का बेटा सोशल मीडिया पर नोटों के गठ्ठर के साथ रील बनाकर एक ठग का बेटा अपलोड कर रहा है। रील में वह बैग से पांच-पांच सौ के नोटों की गड्डियां पलटते दिखाई दे रहा है। इसके अलावा बेड पर एक और नोटों का ढेर लगा दिख रहा है। बताया जा रहा है कि यह रकम करीब 50 लाख के आसपास है, जो लोगों को ठगकर इकट्ठा की गई है। पुलिस भी बनी ठगों की मददगार, नहीं किया गिरफ्तार ठगी के ज्यादातर मामलों में पुलिस की लापरवाही भी सामने आ रही है। पुलिस इन मामलों में या तो आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं करती, अगर कर भी लेती तो ठगों से साठगांठ कर मामले में लीपापोती कर देती है। पीलीभीत के न्यूरिया में शाहमीर गैंग ने जिन प्रेमप्रसाद को निशाना बनाया उस मामले में पुलिस ने एफआईआर तो दर्ज कर ली लेकिन किसी की गिरफ्तारी नहीं की, बल्कि मामले में चार्जशीट भी लगा दी। पुलिस ने घटना के एक महीने बाद लगाई चार्जशीट इस मामले में न्यूरिया इंस्पेक्टर रूपा बिष्ट ने बताया कि ठगी के आरोप में प्रेमप्रसाद की ओर से शाहमीर और डालचंद के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। पुलिस रिकॉर्ड में आरोपियों की गिरफ्तारी का कोई उल्लेख नहीं है। घटना की रिपोर्ट दर्ज करने के करीब एक महीने बाद इस मामले में चार्जशाीट कोर्ट में दाखिल कर दी गई थी।