बदायूं जनपद की ककराला सीएचसी (Kakrala CHC) खुद गंभीर समस्याओं से जूझ रही है, ऐसे में मरीजों को इलाज मिल पाना मुमकिन नहीं दिखाई दे रहा। कहने को यह 30 बेड की सीएचसी है मगर अव्यवस्थाओं का शिकार होने की वजह से क्षेत्र के मरीजों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्राइवेट डॉक्टरों के पास जाना पड़ता है।
ककराला, बदायूं। लाखों की आबादी के इलाज का जिम्मा होने के बाद भी Kakrala CHC में हालात इस कदर बदतर है कि जहां इलाज करने वाले है तो संसाधन नहीं और जहां संसाधन है वहां उन्हें चलाने वाला नहीं। रही सही सुविधाओं को भी यहां से उठाकर दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है।
हाल ही में Kakrala CHC की कलर्ड एक्स-रे मशीन बिसौली पहुंचा दी गई। इसके पीछे तर्क दिया गया कि यहां लोग एक्स-रे कराने आते ही नहीं हैं इसलिए यहां इसकी कोई जरूरत नहीं है। सीएचसी में एक्स-रे टेक्नीशियन न होने से पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट मशीन भी धूल फांक रही है। मरीजों को सीएचसी में मौजूद सुविधाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।
Kakrala CHC में डेंटल कक्ष में टूटी चेयर, डॉक्टर की कहीं और लगा दी ड्यूटी
Kakrala CHC में हालात इस कदर बदतर हो चुके हैं कि डेंटल कक्ष में मरीजों का इलाज करने के लिए लगी चेयर टूट चुकी है, इससे मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है। यहां डेंटिस्ट के पद पर तैनात डॉक्टर शिशिर की ड्यूटी काम ना होने के चलते जिला मुख्यालय पर एपेड्मिक में लगा दी गई है। इसके अलावा यहां तैनात डेंटल सर्जन सतीश कुमार के पास भी कोई काम नहीं बचा है और सारा दिन खाली बैठे रहते हैं।

इलाज नहीं… यह तो बीमारी बांटने का अड्डा
सीएचसी में साफ-सफाई की बात की जाए तो परिसर में ऊंची-ऊंची झाड़ियां उग आई हैं। मच्चरों का वार्डों में भारी प्रकोप है। शौचालय से लेकर डॉक्टरों के कक्ष तक की सफाई व्यवस्था चौपट है। यहां एकमात्र महिला सफाई कर्मी तैनात है, जो पूरे दिन नदारद रहती है। चिकित्साधिकारी का कहना है कि अगर कोई स्टाफ का व्यक्ति साफ-सफाई को लेकर महिला सफाईकर्मी से कुछ कह देता है तो वह एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा लिखवाने की धमकी देती है।

कर्मचारियों की गुटबाजी ने और किया बंटाधार
Kakrala CHC में ककराला में ही रहने वाले आधा दर्जन से ज्यादा कर्मचारी तैनात हैं, जिनके बीच आपसी गुटबाजी जगजाहिर है। ये कर्मचारी काम पर ध्यान देने के बजाय एक दूसरे के कमियों को ढूंढ़ने में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं। सफाई कर्मी ही नहीं, चौकीदार, एलटी से लेकर फमार्सिस्ट तक गुटबाजी के शिकार हैं। इसका नतीजा सीएचसी की बदहाली के रूप में लाखों लोग भुगत रहे हैं।
नगर के समाजसेवी और युवाओं ने सीएचसी की व्यवस्थाओं को पटरी पर लाने के लिए अभियान चलाया है। उन्होंने अधिकारियों से संपर्क साधकर सीएचसी की व्यवस्थाओं में सुधार की मांग की है। कई बार अफसरों से भी मिलकर प्रार्थना पत्र सौंपे मगर नतीजा कोई नहीं निकला। हालात अब भी जस के तस बने हुए हैं।
डॉक्टर बोले- लोगों को प्राइवेट डॉक्टरों से इलाज कराना ज्यादा पसंद
सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल होने की वजह से लोगों का भी अब इससे मोहभंग होता जा रहा है। लोग भी सरकारी की जगह प्राइवेट डॉक्टरों पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। Kakrala CHC के चिकित्साधिकारी भुवनेश कुमार ने बताया कि सीएचसी में दवाएं भरपूर मात्रा में उपलब्ध हैं। मलेरिया, टाइफाइड, डेंगू, बुखार, हीमोग्लोबिन, टीबी आदि की जांचें भी हो रही हैं लेकिन लोग खुद सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाना नहीं चाहते हैं। लोग प्राइवेट डॉक्टरों से इलाज कराना ज्यादा पसंद करते हैं। उन्होंने एक वीडियो जारी करके लोगों से इलाज के लिए सीएचसी आने की अपील की है।