Manmohan Singh Death News : बरेली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह महान अर्थशास्त्री होने के साथ ही देश के आर्थिक सुधारों के वास्तुकार भी थे। उन्होंने देश के आर्थिक सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हीं की वजह से विश्व में देश की पहचान बढ़ी और भारतीयों को भी दूसरे मुल्कों में सम्मान मिलना आरंभ हुआ। यह बात श्रीराममूर्ति स्मारक ट्रस्ट के संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी देव मूर्ति ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोकसभा में कही।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री एवं आर्थिक सुधारों के जनक डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए श्रीराम मूर्ति स्मारक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट साइंस की ओर से शुक्रवार को शोकसभा आयोजित की गई।

शोकसभा में देव मूर्ति ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह ने वर्ष 1991 से 1996 तक वित्तमंत्री के रूप में कार्य करते हुए विकसित भारत की आधारशिला रखी, जिसके फलस्वरूप हमारा देश उदारीकरण और वैश्वीकरण का हिस्सा बनकर वर्तमान स्तर तक पहुंच सका। उन्हीं की योजनाओं का श्रेय है कि वैश्विक आर्थिक मंदी के बाद भी देश की अर्थव्यवस्था पर आंच नहीं आने पाई।
देव मूर्ति ने कहा कि 2014 में मनमोहन सिंह के शासनकाल में डॉलर 62 रुपया था जो कि आज 85 रुपये तक पहुंच गया है। आज दूसरे देश हिंदुस्तान की ओर उम्मीद से देख रहे हैं वह मनमोहन सिंह के आर्थिक सुधार और योजनाएं ही हैं। जब-जब आर्थिक सुधारों और विकास नीतियों की बात होगी तब-तब डॉ. मनमोहन सिंह जैसा कर्तव्यनिष्ठ और दूरदृष्टा व्यक्तित्व हमेशा याद किया जाता रहेगा।

पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट साइंस के प्रोफेसर डॉ. सौरभ गुप्ता, डॉ. मोहम्मद दानिश चिश्ती और डॉ. सोवन मोहंती ने मनमोहन सिंह के विशेष योगदानों एवं आर्थिक सुधारों की विस्तृत चर्चा की।
एमबीए के छात्र मानस और बीबीए के छात्र अभिनंदन ने शिक्षकों और विद्यार्थियों को डॉ. मनमोहन सिंह के जीवन परिचय व शैक्षिक उपलब्धियों से अवगत कराया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनुज कुमार ने किया। इस दौरान ट्रस्ट के सचिव आदित्य मूर्ति, डॉ. एमएस बुटोला, डॉ. प्रभाकर गुप्ता, प्रोफेसर सुभाष मेहरा, डॉ. मुथु महेश्वरी, डॉ. अनीश चंद्रन, डॉ. शैलेंद्र सक्सेना और सभी संस्थानों के प्राचार्य व शिक्षक मौजूद रहे।